वर्णिकाओं, सुनो
तुम रातको बाहर ना निकलो
तुम घरसे बाहर ना निकलो
तुम माँ के पेटसे ना निकलो
तभी तुम हमसे बचोगी।
हम हैं रावण
तुम रातको बाहर ना निकलो
तुम घरसे बाहर ना निकलो
तुम माँ के पेटसे ना निकलो
तभी तुम हमसे बचोगी।
हम हैं रावण
और राम तो इस देशसे विदा हो चुके हैं
हम हैं द्यूत-सभाके दुःशासन और कर्ण
हम हैं द्यूत-सभाके दुःशासन और कर्ण
और कृष्ण तो इस देशसे विदा हो चुके हैं
चण्डी-काली-दुर्गा -- वो क्या होता है -- ऐसा भी कोई कभी इस देश में है या था क्या
और हमारी माँकी बात ही मत करो --वह होगी किसी वृद्धाश्रममें -
चण्डी-काली-दुर्गा -- वो क्या होता है -- ऐसा भी कोई कभी इस देश में है या था क्या
और हमारी माँकी बात ही मत करो --वह होगी किसी वृद्धाश्रममें -
इस देशसे मातापूजन की संस्कृति भी निकल चुकी है।
अब तो बस हमारा ही राज है -- हम हैं वो जो ढूँढते मिलेंगे शिकार बलात्कारके लिये।
और अगर मर गई सारी लडकियाँ तो लडकोंकाही शिकार करेंगे।
अब तो बस हमारा ही राज है -- हम हैं वो जो ढूँढते मिलेंगे शिकार बलात्कारके लिये।
और अगर मर गई सारी लडकियाँ तो लडकोंकाही शिकार करेंगे।
-- लीना मेहेंदळे ९ अगस्त (क्रांतिदिन) २०१७