Monday, March 24, 2014

सोहमच्या कविता

कावळा असतो काळा काळा 
करतो काव काव काव
रोज म्हणतो सोहमला
पोळी द्या ना राव

मोर म्हणतो पियाँऊँ 
मी किती छान नाचतो
रंगबेरंगी पंख माझे
सगळ्यांना आवडतो

इटुक पिटुक फूलचुसी
लांबच लांब चोच तिची
सुर्रप सुर्रप मध खाण्या
करते फुलांशी दोस्ती

कोकिळ गातो गोड गाणे
पंचमाची लाउन तान
कुहु कुहु चिडवले तर
होतो खूप हैराण

चिऊ चिऊ चिमणी दाणे टिपते
झाडांत तिचा चिवचिवाट
मातीत लोळते, पंख घुसळते
बघा तेंव्हा तिचा थाट 


मिठू मिठू म्हणत पोपट 
आला बघ झाडावर 
हिरव्या पोपटाला  हिरवी मिर्ची 
दे रे सोहम लौकर

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A beautiful,bright and delighted day,
sun entered makar to intense the ray.
crop harvested to cheer the smiles,
come together and enjoy the life.
kites flying high to touch the happiness,
til mangled with sweet to spread sweetness.
Time to enjoy the moment with full intensity
very happy prosperous Makar Sankranti.

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झाडाच्या खोबणीत लपलाय सोहम
आई शोधी मावशी शोधी, कुठे रे सोहम
बाबा म्हणतो चुप चुप, हसू नको हां सोहम
मजा बघू या त्यांची, सापडतो का आपण
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भोवरा फिरतो गरगरगर
गरगरगर
गरगरगर
राहून उभा एका खिळ्यावर
खिळ्यावर
खिळ्यावर
अरे, ही तर जायरो-मोशन
शिकून हुशार झाला सोहम



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