Thursday, October 4, 2007

विशाखा से -- यह बाट.....

यह बाट

यह बाट जा रही
बिकट वनों से,
ढल रहा क्षीण विधु,
गगन पटल से।

इस तम में
बन कर पिशाच
घूमे हवा।

पर दूर तेरे घर
जलता है
कोई दिया।

उसके ही आसरे,
राह मेरी कटी,
राह मेरी कटी।
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