Wednesday, October 10, 2007

विशाखा से -- रे नन्हें पंछी


विशाखा से
रे नन्हें पंछी 

है चलना वापस नन्हें पंछी, 
वापस चलना आज 
अस्तगिरि पर क्षण क्षण उतरे 
अंधियारी ये सांझ।

सुवर्ण नौका रश्मिरथी की 
विलीन हो सागर में, 
है देर जरासी, बैठ मेरे संग,
गीत मधुर कुछ गा लें।
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