Sunday, July 11, 2010

मारवा से -- केक का टुकडा

केक का टुकडा
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होटेल की बाल्कनी से
दयावान होकर फेंका,
चाँकलेट केक का
मोटा सा टुकडा
राह के मरियल कुत्ते के लिए ---

कुत्ता दौड चला
और होटेल के साये में खडा,
तार-तार कपडोंवाला
वह गंदा छोकरा भी।

छोकरा प्राणपण से दौडा
और कुत्ते को मात देकर
जीत लिया वह टुकडा ---
बचे नही कोई डर छीनने का,
इसलिए
ठूँस लिया तुरंत
पूरा टुकडा मुँह में
असभ्य हडबडी में।

बाल्कनी से देख रहा था दयावान
शिवास रीगल का ग्लास
होठों से लगाते हुए गुर्राया,
'ये हरामखोर आदमी के पिल्ले।'
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