Sunday, March 14, 2010

छन्दोमयी से -- औरत

औरत

धूप में तपे पत्थर
फोडे से न फूटे
स्तन से चिपका बालक
हटाए से न हटे
अंगूठे से बही रक्त की धार
रोके से न रुके
औरत फोडती रही,
औरत फूटती रही।
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