शुभकामना
महापुरुष मरते हैं
तब जाग खडे होते हैं,
जगह जगह पर
संगमरमर के पत्थर,
और सरेआम चौराहे पर
चुन देते हैं उनकी आत्मा,
मार डालते हैं उन्हें,
फिर एक बार,
और इस बार
पूरी तरह से।
इसीलिए कहता हूँ
महापुरुष को मरना है
दो बार ----
एक बार अपने बैरियों के हाथ
बाद में अपने भक्तों के हाथ
वह संगमरमरी मृत्यु
तुम्हें नही झेलनी पडे,
यही है मेरी शुभकामना।
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Sunday, March 14, 2010
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