आईना
आईने ऐसा नहीं करते
देखी जो छवि उसे नहीं धरते।
पर यह आईना
अलग ही निकला
कभी केश में गजरा सजाने
तुमने इसमें झाँका था।
अब यह अपवाद बना आईना
नियत समय पर,
प्रगट करता है वही रूप,
पूरी की पूरी चौकट में भरकर।
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Sunday, March 14, 2010
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