Saturday, August 6, 2011

महावृक्ष से -- ऋण तेरे दीप का

ऋण तेरे दीप का

खोलकर द्वार,
दीप लिए हाथ,
हे उदारमना,
तुम देहरी पर खडे।

तिमिरांध रात,
राह में प्रकाश,
ऋण तेरे दीप का
सदा मेरे माथे॥
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