आदेश
आओ बैठें,
रोना तो लगा है रोज ही
पर आज तो
थोडा हँसें।
अंधेरे का कीर्तन
भूल जायें थोडी देर
हृदय पर लगा लें
उजाले के छापे।
तेरे मेरे जीने के
परात्पर जो स्वामी
उन विश्र्वेश्र्वर सूर्य के
आदेश हैं ऐसे।
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Saturday, August 6, 2011
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