मुखौटा
एक दुख को
असह्य हुआ अपना दुखडा।
बाजार से खरीद लाया
एक मुखौटा
आनंद का।
वही चढाकर गया
आनंद की महफिल में।
थोडे संकोच के बाद
जब देखा सबको सूक्ष्मता से,
पाया हर चेहरे पर
वही मुखौटा,
उसी दुकान से खरीदा हुआ।
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Saturday, August 6, 2011
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