Sunday, August 7, 2011

हिमरेषा से --क्यों

क्यों

छोडकर राजगृह क्यों गौतम वनवास करे ?
अपना ही क्रॉस क्यों येशू पीठ पर धरे ?

सुकरात भी क्यों विषभरा प्याला लगाए होंठसे ?
तत्वच्युत होना नही है, मौत तू लग जा गले।

भूमि धनसे विरत कोलंबस चले सागर के द्वार,
उत्तरी ध्रुव की बरफ में खोज कोई क्यों करे ?

घास की हो रोटी सोने को शिलाएँ हों कठिन
क्यों महाराणा प्रतापी जगलों में ही फिरे ?

सिंहगड की मुहिम पहले, पुत्र ब्याहूँ बाद में
मौत क्यों स्वीकारने नरवीर तानाजी गए ?

पानीपत में हार ही जब तय मराठों की हुई,
सदाशिव को छोड जनकोजी न क्यों भागे चले ?

संधि का प्रस्ताव आया अंगरेजी राज से
लडी रानी मर मिटी क्यों मेरी झाँसी के लिए ?

रोग संकट कोई ओढे कुष्ठ रोगी के लिए क्यों ?
कोई सरहद पर हिमालय को बचाने क्यों लडे ?

करो समझौता सुखों से रहो घर में चैन से,
मंत्र यह जाने न जो क्यों चतुर उसको हम कहें ?
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