Saturday, August 6, 2011

महावृक्ष से -- बहन कोकिला

बहन कोकिला

बहन कोकिला
आज आम पर
आ जाना।
एक रात भर
इस डाली पर
रह जाना।

स्पर्श पंख का
और प्रेम का
रख जाना
भोर भये कल
गीत उषा का
गा जाना।

पवन साँझ से
सावधान है
कर रहा।
लिए कुल्हाडी
जंगल में
कोई फिर रहा।

सारे तने
जीर्ण वृक्षों के
गिन रहा।
इसी दिशा में
वार चलाने
आ रहा।
--------------------------------

No comments: