किनारा
यह कविदा कोलम्बसकी अमरिका-खोज को इंगित करती है।
लो आया किनारा
तट पे है गूँजा नाविकों का इशारा
लो आया किनारा।
उन्मत्त तूफानी सागर विकराल
उतारी थी नौका, ताने थे पाल,
किया अनसुना भीरुओंका पुकारा,
लो आया किनारा।
वो संग्राम अब पूर्ण होने चला,
युगों की तपस्या की है सिद्धता,
वीरोंके श्रमने है जिसको निखारा
लो आया किनारा।
तट पे हैं झिलमिल पंक्तियाँ दीप की,
शलाका लाल पीली या नीलाभ की,
तमपे है खिलता जैसे अंगारा
लो आया किनारा।
इस एक क्षण की थी की हमने आस
इसीसे हुआ सिद्ध नौका प्रवास,
आये हैं वापस जग जीत सारा,
लो आया किनारा।
जो बिछडे हैं संगी उनको प्रणाम,
उनकी स्मृति रह न जाए अनाम
जयध्वज चढाओ तट पर हमारा
लो आया किनारा।
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Saturday, August 6, 2011
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