स्वतंत्रता के सैनिक को
उस जलते हुए इतिहास के
अंगारों पर चलते हुए,
ज्वाला के ही दुशाले
देह पर लपेटे हुए,
आप वर्तमान में आए,
शत - शत धन्यवाद।
पर इस बर्फीली, ठिठुराई
अनुभूतियों के देश में
कुछ अंगार भी साथ लाते
तो अच्छा था।
पर आप क्या लाए ?
बस एक शिफारसी पत्र,
उसी इतिहास के जेलरों का।
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Sunday, August 7, 2011
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