अंतिम विस्फोट
उस अंतिम विस्फोट के बाद
अशेष नही होगी केवल मानवजात
अशेष होंगे
ताजमहल और कैलास,
शेक्सपियर और कालीदास।
लाखों, अरबों वर्षों में
कण कण से,
क्षण क्षण से, जुडाये हुए
चाँद को छुआए हुए
ज्ञान विज्ञान के गगनगामी स्तंभ,
बुद्ध, येशु से महात्माओंने
कोटि कलेजों में बसाए हुए
करुणा के मंदिर,
सब कुछ -----
और पृथ्वी पर बचेगा शेष
एक विराट् ब्रह्मांड,
राख का दलदल का।
फिर कदाचित
धराव्यापी राखसे,
अदमित जीवितेच्छासे
फूट पडेगा कोई अंकुर हरे घासका।
दलदल में आरंभ होगा बिलबिलाना,
एक अमीबाका।
ऐसे होगा प्रारंभ
फिर नई उत्क्रांति के
प्रथम चरणका।
लाख शताब्दों के आदि का,
ब्रह्मचक्र के दूसरे भ्रमण का।
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Sunday, August 7, 2011
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