ऐसे भी क्षण
आखिर मेरा जीवन यानी सोच है मेरी
तम भी मेरा, दीप भी मेरा, जलन भी मेरी।
परंतु ऐसे भी क्षण आते
लाख खिडकियाँ हैं खुल जातीं,
समेटता हूँ रास्ते पर से,
प्रकाश थोडा, थोडी माटी।
और लौट कर उसी गुफा में फिर से जलना।
उसी ज्वलन में ज्ञान - सोच का फिर से खिलना।
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Saturday, August 6, 2011
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