Saturday, August 6, 2011

महावृक्ष से -- आलंबन

आलंबन

चलो मान लिया,
जब स्वयम् श्रीकृष्ण ने कहा,
'जो देखे मानव रूप में मुझे,
वह मूढ़ है।'
भगवन्, उन मूढों की सूची में
मेरा भी नाम है।

तुम निर्गुण, तुम निराकार,
विश्र्वात्मक तुम, अरूप, अपार।
जाने मेरी प्रज्ञा जाने,
मन ना माने।

मुझे चाहिए रूप तुम्हारा
सगुण साकार,
जो इन नयनों को दे पहचान,
दुर्बलता को धीरज बाँधे,
मन को दे जो आशास्थान।

विश्र्व की इस असीमता में,
मेरा जो एकाकीपन,
रूप तुम्हारा बना रहे मेरा आलंबन।

हाँ, मूढों की सूची में
नाम मेरा भी है,
और साथ एक सांत्वन,
जिस अर्जुन के लिए सुनाई गीता तुमने,
सूची में है उस अर्जुन का
अग्रक्रम।
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