Sunday, August 7, 2011

मुक्तायन से -- हिम्मत

हिम्मत

सुनी खबर आपने ?
राजधानी से
सिंहासन के सिंह,
पॉलिटिक्स से त्रस्त,
भाग चुके हैं जंगल को।
खोज है राजधानी में जारी
अन्य प्राणियों की।

प्रार्थी भी हैं बहुतेरे,
फिर भी दो प्राणी,
धोबी की सेवा से ऊबे,
कॅम्पेनिंग कर रहे
बडे आत्मविश्र्वास से ----

हम ही हैं लायक
क्यों कि,
सारे अखबारों को
संपादकीय समेत
चबा जाने की
और पचाने की हिम्मत
रखते हैं ---
केवल हम।
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