Sunday, August 7, 2011

पाथेय से --सवाल है

सवाल है

मैं बात नही करता
दूरस्थ तारिकाओं की
उन पर तुम्हारी मल्कियत
कभी भी न थी।

लाखों प्रकाशवर्ष हमसे दूर,
वह ब्रह्म ज्योतियाँ
कभी उगेंगी, कभी डूबेंगी
कभी मेघों में धूसर होंगी।

मेरा सवाल है ---
तुम्हारे स्वामित्व की,
तुम्हारे निजी आकाश की
तारिकाओं को लेकर।

यदि वे बुझ गईं हों,
तो दूरस्थ तारिकाएँ तो क्या,
सहヒा सूर्य भी,
तुम्हारी राह पर,
बिछायेंगे केवल अमावास।
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