Monday, August 8, 2011

मुक्तायन से -- स्वर

स्वर

सबसे मधुर स्वर
न महफिल के गाने का
न पहाडी झरने का
न कोयल के कूजन का
न सागर की लहरों का
न आमंत्रक होठों की
मौन किलकारी का।

सबसे मधुर स्वर
कहीं पर किसी के
हाथ पाँव पडी श्रृंखला
छनछनाकर टूटने का।
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