Saturday, August 6, 2011

महावृक्ष से --तुका

तुका

जंगलों ने दिए
थोडे दावानल,
लहरों का उछाल,
सागरोंने।

तारोंने जताई
अंधेरे की सीमा,
निर्झरों का गाना,
पहाडोंने।

कार्तिक चंद्रमा ने
माधुरी का ヒााव,
बिजली का तांडव,
आषाढने।

श्मशानों ने दी
चिता की तपन,
भेंट दे गगन,
नीलता की।

दुनियाँ ने दिया,
बनिए का कर्म,
तौलता हे धर्म,
तराजू में।

तुका को क्या लेना
ऐसे संचितों से,
जब विठोबा से
चित्त लागा॥
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